आरती श्री रामायण जी की,
जय जय जय श्री रामायण जी की।
दुष्ट दलन राम कृपा सिंधु,
हरहु नाथ मम संकट बिनु।
सिया राम चंद्र की आरती,
रघुकुल नंदन की आरती।
राम भक्ति की वेला सुहानी,
सबकी हरने वाली कहानी।
जपते राम रघुकुल नायक,
राम भजन में लीन संन्यासी।
धरती पर आये जब रघुकुल नंदन,
अयोध्या में बजी बधाई।
राम जी के चरणों में जो बसी,
संतजन की आदरभावनाएं।
धरती पर करुणा का अवतार,
सभी दुखों का है निवारण।
सियाराम की अर्चना सहे,
भक्तजन की दिल में बसे।
श्री राम की सेवा में मन लाए,
मंगल फल हर भक्त पाए।
अयोध्या नगरी में बजी बधाई,
रघुकुल के दीपक जलाए।
ध्यान राम में है सबको भाए,
सच्चे प्रेम में जीवन बिताए।
आरती श्री रामायण जी की,
जय जय जय श्री रामायण जी की।
रघुकुल नायक की आरती,
सदा हर दिल में रहे दीन,
प्रभु के चरणों में सच्ची भक्ति,
मांगें प्रभु से यही कृपा।
यह आरती भगवान राम की महिमा और उनके प्रति भक्ति की भावना को व्यक्त करती है। इसमें भगवान राम के चरित्र और उनके द्वारा प्रकट की गई करुणा और दया का गुणगान किया गया है। यह आरती राम भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है जो भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है।